Dec 16, 2011
हाय! इन अधरों पर अब
सूख गयी कैसे हाला,
हाय! इन बिखरे हाथों में
सूख गया कैसे प्याला,
स्वर्णिम साकी आवाज़ लगाती
इन मधु के मतवालों के बीच,
सुनसान पड़ा है पीनेवाला
बांज पड़ी यह मधुशाला।
Dec 23, 2011
कितने नाज़, अरमानों से मैंने
किया कल्पित यह जग प्याला,
कितने मृदुल भावों से
रची वह स्वर्णिम साकीबाला,
जाने अनजाने में छूटा
घड़ा जीवन अमृत का,
वास्तविकता के फर्श पर बिखरी
मेरी क्षणभंगुर मधुशाला।
वाह! वाह! पुकार सराहता
झूमता मदमस्त पीनेवाला,
हाथ पकड़ साकी को खींचता
कहता और दे यह शब्दों की हाला,
एक प्याले में एक जीवन समाये
आसान न समझ तू इसको,
कई जीवनों के नीचोड़ पर झूमे
इन पाठकों की मधुशाला।
Dec 25, 2011
भोर होते शंख नाद गूंजता
सायं छलकता प्याले पर प्याला,
सूरज की किरणों में झून्झता
सायं थिरकती साकीबाला,
दिन में जो लहू बहे
वोह सायं तेरी हाला,
यह दिन में मेरी रणभूमि
सायं तेरी मधुशाला।
Jan 03, 2012
यूहीं बैठे बैठे देख
बह गयी कितनी हाला,
इस तर्क - वितर्क की जंग में
फिसल गया हाथों से प्याला,
बूँद बूँद कर, कई बूंदों में
एक युग बीत गया,
नया भोर है, नयी उम्मीदें
नयी उम्मीदों की नव मधुशाला।
Jan 17, 2012
आखरी किरण ओझल हुई
अन्धकार में खो गया प्याला,
रोशनी की चाह में चला
धूप निगल गयी हाला,
मेरी स्वर्णिम साकी
एक काल्पनिक पात्र हुई,
बरसों की पुकारों में गूंजे
मेरी तन्हा मधुशाला।
अन्धकार में खो गया प्याला,
रोशनी की चाह में चला
धूप निगल गयी हाला,
मेरी स्वर्णिम साकी
एक काल्पनिक पात्र हुई,
बरसों की पुकारों में गूंजे
मेरी तन्हा मधुशाला।
Jan 27, 2012
बड़ी आसानी से तुने
पार पटक दिया प्याला,
भावों में बह कर बोला
ना दे मुझे यह जूठी हाला,
ऐ पीनेवाले! तू क्या जाने
उस साकी की व्यथा को,
मुबारक तुझे तेरा नया सफ़र
मुबारक तुझे नयी मधुशाला।
Jan 29, 2012
खूब गरजा, घूब बरसा
लेकिन न मिली वोह जग हाला,
ख़ुशी मुझे है यदि जो मैं
भर सका दो बूँद तेरा प्याला,
अब बह जाने दे तू मुझको
इन मद मस्त मुस्कानों के बीच,
छोड़ चला इन् मतवालों को
यह मदिरा का मोह, मृत मधुशाला।
बड़ी आसानी से तुने
पार पटक दिया प्याला,
भावों में बह कर बोला
ना दे मुझे यह जूठी हाला,
ऐ पीनेवाले! तू क्या जाने
उस साकी की व्यथा को,
मुबारक तुझे तेरा नया सफ़र
मुबारक तुझे नयी मधुशाला।
Jan 29, 2012
खूब गरजा, घूब बरसा
लेकिन न मिली वोह जग हाला,
ख़ुशी मुझे है यदि जो मैं
भर सका दो बूँद तेरा प्याला,
अब बह जाने दे तू मुझको
इन मद मस्त मुस्कानों के बीच,
छोड़ चला इन् मतवालों को
यह मदिरा का मोह, मृत मधुशाला।